Das Haasil Sau Baaki - Acapella lyrics

by

Pritam



[Papon, Shashwat Singh & Nikhita Gandhi "Das Haasil Sau Baaki - Acapella" के बोल]

[Verse 1: Papon, Shashwat Singh & Nikhita Gandhi]
आँखें लगी, ख़्वाब आया
आँखें खुलीं, घबराया
कुछ खट्टा, कुछ मीठा
कोई राज़ी, कोई रूठा
दस हासिल, सौ बाकी
ये मंज़िल ना काफी
इस पल ये, उस पल वो
कुछ बिखरा, कुछ टूटा

[Chorus: Papon, Shashwat Singh & Nikhita Gandhi]
सब कुछ मिला है, कुछ ना गिला है
फिर भी यक़ीनन दिल में तड़पती ख़ला है
ग़ज़ब मरहला है
क्या ताना-बाना, समझा ना जाना
अक्सर अमूमन चढ़ते ही सूरज ढला है
ग़ज़ब मरहला है

[Post-Chorus: Papon]
प, प-र-र-र-र, प-र-र-र-र
प-र-र-र-र-र-रा-नि
र, प-र-र-र-र, प-र-र-र-र
प-र-र-र-र-र-रा-नि
र, प-र-र-र-र, प-र-र-र-र (कुछ खट्टा, कुछ मीठा)
प-र-र-र-र-र-रा-नि (कुछ खट्टा, कुछ मीठा)
र, प-र-र-र-र, प-र-र-र-र (कुछ खट्टा, कुछ मीठा)
प-र-र-र-र-र-रा-नि (कुछ खट्टा, कुछ मीठा)
[Verse 2: Papon, Shashwat Singh & Nikhita Gandhi]
चलता रहा, मुड़ता रहा
हैं यहाँ थोड़ा-थोड़ा हर रास्ता
वो कौन था, ये कौन था
क्यों मिला, तेरा मेरा क्या वास्ता?

[Chorus: Papon, Shashwat Singh & Nikhita Gandhi]
ये सक्के, ये चक्कर, है नून-शक्कर
ग़ोया मिज़ाजन बढ़ा और घटा फ़ासला है
ग़ज़ब मरहला है
ये जीवन का पहिया, है फिर घूमे भैय्या
मसलन उसूलन रुकने से चलना भला है
ग़ज़ब मरहला है

[Outro: Papon, Shashwat Singh & Nikhita Gandhi]
आँखें लगी, ख़्वाब आया
आँखें खुलीं, घबराया
कुछ खट्टा, कुछ मीठा
कोई राज़ी, कोई रूठा
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