Nikle The Kabhi Hum Ghar lyrics

by

Pritam


निकले थे कभी हम घर से
घर दिल से मगर नहीं निकला
घर बसा है हर धड़कन में
क्या करें हम ऐसे दिल का?

बड़ी दूर से आए हैं, बड़ी देर से आए हैं
पर ये ना कोई समझे, हम लोग पराए हैं
कट जाए पतंग जैसे और भटके हवाओं में
सच पूछो तो ऐसे दिन हमने बिताए हैं
पर ये ना कोई समझे, हम लोग पराए हैं

यही नगर, यही है बस्ती, आँखें थीं जिसे तरसती
यहाँ ख़ुशियाँ थीं कितनी सस्ती
जानी-पहचानी गलियाँ, लगती हैं पुरानी सखियाँ
कहाँ खो गईं वो रंग-रलियाँ

बाज़ार में चाय के ढाबे
बेकार के शोर-शराबे
वो दोस्त, वो उनकी बातें
वो सारे दिन, सब रातें

कितना गहरा था ग़म इन सब को खोने का
ये कह नहीं पाएँ हम, दिल में ही छुपाए हैं
पर ये ना कोई समझे, हम लोग पराए हैं

निकले थे कभी हम घर से
घर दिल से मगर नहीं निकला
घर बसा है हर धड़कन में
क्या करें हम ऐसे दिल का?
क्या हमसे हुआ, क्या हो ना सका, पर इतना तो करना है
जिस धरती पे जन्मे थे, उस धरती पे मरना है
जिस धरती पे जन्मे थे, उस धरती पे मरना है
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